Friday, May 22, 2009

चेंजिंग रूम मै कपड़े ट्राई करने वालो ...सावधान


यह प्रयोग करो. बिलकुल आसान और आप के सम्मान की रक्षा करने में अचूक.

Tuesday, May 19, 2009

अनोखा घोड़ा ....जो मेंढक भी है...


देखो देखो ....क्या आपने कभी देखा है ऐसा घोड़ा जो मेंढक भी हो...

Sunday, March 29, 2009

मतदान-महादान....वोट डालो...देश बचालो

चुनाव फिर से हमारे सामने हैं. यह एक ऐसा राष्ट्रीय उत्सव है जो शायद कभी भी पूरे मन से, विवेकशील होकर राष्ट्रीय चेतना बलवान करते हुये देश हित की कामना के साथ नहीं मनाय गया. आज के जो हालात हैं उन्हॅ देखते हुये देश के नागरिकॉ का कर्तव्य है ( चाहे वे किसी भी वर्ग, जाति या मज़हब से ताल्लुक रखते हॉ) कि अपने जनतंत्र को विवेकपूर्ण मतदान से पुनर्प्रतिष्ठापित करॅ. हम अपने हितॉ को पहचानें. अपने परिवार, अपने गांव, अपने शहर और अपने देश के विकास को ध्यान मॅ रखकर मतदान करॅ.

बहुत से लोगॉ को मैने यह कहते सुना है कि किसे वोट दॅ सभी नेता एक ही थाली के चट्टेबट्टे हैं. तो क्या भारत मॅ लोकतंत्र के दिन लद गये???? क्या हम अपने देश को लोकतांत्रिक पद्धति से नही चला सकते??? इन सवालॉ के जवाब हमॅ तलाशने होंगे!!!


हम बदलॅगे हर उस व्यक्ति को जो देश-हित की बात को मह्त्व नहीं देता, हमारी बात नही सुनता, हमारे विकास की बात जिसे महत्वपूर्ण नही लगती, जो भ्रष्ट है, जो आपराधिक पृष्ठभूमि वाल नेता है, जो समाज को बाँट कर रखना चाहते हैं, जो अक्षम हैं, और जो ज़िम्मेदार नही है. हम चुनाव के माध्यम से अपनी राय दॅगे और बदल दॅगे इन सब चीज़ॉ को. हम मतदान करॅगे.

  • शिक्षित व्यक्ति को अपना कीमती वोट दॅ.
  • ऐसे उम्मीदवार को वोट ना दॅ जिसका कोई आपराधिक रेकार्ड रहा हो.
  • बाहुबलि से ज्यादा विवेकवान उम्मीदवार को प्राथमिकता दॅ.
  • मतदान के मामले मॅ किसी भी प्रकार के प्रलोभन से बचॅ.( जैसे अपनी जाति का प्रत्याशी है, मित्र है, कुछ तो मदद करेगा ही...आदि आदि)
  • पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार को महत्व दॅ. अगर पार्टी का प्रत्याशी है तो अवलोकन करॅ कि उसने अपने कार्यकाल मॅ समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियॉ का निर्वहन किस प्रकार किया है.

मै व्यक्तिगत तौर पर यह मानता हूँ कि हमे अभी और आत्म-मंथन की आवश्यकता है. हमें उन युवा, देशहितैशी, ऊर्जावान नेताऑ की पहचान करनी चाहिये जो दलगत राजनीति से ऊपर उठे हुये है और उन्हॅ एक अवसर चाहिये. मै अपील करता हूँ एक-एक भारतीय नागरिक से जो कि मतदान का अधिकार प्राप्त कर चुका है कि अपने वोट का समझदारी से उपयोग करॅ. देश के राजनैतिक गलियारॉ से साफ करॅ उस गन्दगी को जिसने भारत की उज्ज्वल छवि को कलंकित किया है. स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार को विजयी बनायॅ. ऐसे नेता को वोट दॅ जो समाज का चिंतन करता हॉ. समाज के दु:ख को अपना दु:ख समझता हो.

मतदान करॅ . अवश्य करॅ. यह हमारा हक है, हमारा कर्तव्य है और यही हमारी शक्ति भी है.

एक वोट का अर्थ है कि परिवर्तन की ओर एक कदम. अगर एक अरब वोट डाले जायॅ तो एक अरब कदम उठेगॅ विकास की ओर.....


फैसला आपको करना है......फैसला हमॅ करना........!!!!! भारत के जन-जन को करना है..


आज देश की आबादी का बड़ा हिस्सा पढा-लिखा है.. शिक्षित है. और तो और हम विश्व मॅ कम्प्यूटर साफ्टवेयर के क्षेत्र मॅ अग्रणी हैं. तो क्या हम अपने लिये, अपने परिवार के लिये....अपनी आनेवाली पीढी के लिये एक सही निर्णायक कदम नही उठा सकते????

क्या हम सब मतदान नहीं कर सकते????

देश की अमीर-गरीब जनता, जिससे मिलकर यह भारत देश बनता है. उसी जनता की जेब से जो पैसा इक्ट्ठा हुआ, यह अकूत धन-राशि और संपूर्ण सरकारी तंत्र देश मॅ यह जो यह चुनाव रूपी आन्दोलन होने वाला है आन्दोलन को सफल बनाने कि लिये प्रयासरत हैं.

क्या हम अपना सहयोग नहीं कर सकते??? क्या हम सब विवेक पूर्ण हो कर मतदान नहीं कर सकते?


एक ऐसी घटना जिसके परिणाम हम सब को वहन करने (झेलने) हैं. क्या हम उस घटना के परिणाम को सकारात्मक और देशहित मॅ करने के लिये अपने कीमती वोट का उपयोग नहीं कर करना चाहॅगे???

क्या हम एक सही निर्णय के लिये सजग मन से तैयार हैं??? क्या हम इस भारतवर्ष के जिम्मेदार नागरिक एक छोटा मगर अति-महत्वपूर्ण नही उठा सकते???

क्या हम सजग होकर, अपने हित के लिये मतदान भी नही कर सकते????

Wednesday, March 4, 2009

आतंक के खिलाफ : हल्ला बोल

कमी रह गई इस मॅ भी. एक आध क्रिकेटर की मौत हो ही जाती....तो भी दुनिया यह मानने को तैयार नही होती कि पाकिस्तान ही जड़ है पूरी दुनिया मॅ फैले इस आतंकवाद रूपी ज़हर के पौधे की. गददाफी स्टेडियम के बाहर श्री लंकाई क्रिकेट टीम दल पर हमला हो चुका है. और यह बात स्व-प्रमाणित हो चुकी है कि अगर अब भी नही चेते तो फिर दुनिया को चित होने से कोई नही रोक सकेगा.

फिर वही होगा....हम फिर एक माह के लिये जाग गये है. फिर से चिंता की रेखाये लौट आई है हमारे चिकने माथे पर. हम फिर अस्थाई रूप से चिंतित हो गये है. फिर से सारे मामले की समीक्षा होगी. पूरे मामले की निश्पक्ष जांच होगी. दो-चार नाम उछाले जायेगे. कुछ लोगो को शक के आधार पर गिरफ्तार भी किया जायेगा लेकिन नाकाफी सबूतॉ के चलते वो भी बाइज़्ज़त रिहा कर दिये जाएंगे. पूरा ड्रामा खेला जायेगा कि किस तरह हमेशा की तरह पाक खुद को पाक दामन साबित करले.

काश अगर यहाँ चीनी टीम होती, या फिर अमेरीकी टीम होती तो सूरतेहाल कुछ और ही होते.

अब तो जागो मेरे देश के लोगॉ. अब तो चेत जाओ. मौका आने वाला है. एक ऐसी सरकार चुनो जो तुम्हारा हित समझ सके. देश हित के जान सके. बदल ड़ालो भारत की तस्वीर इस दुनिया के नक्शे पर. दिखा दो कि हम भी तख्ता पलटना जानते है. हम भी हिम्मत रखते है कि अपनी बात रख कर अपनी ताकत दिखा सकते है.

तो बदल डालो...मिटा दो आतंकवाद का नाम इस दुनिया के शब्दकोष से.
(दुख हुआ कि खेल भावना को चिट पहुची. दुख हुआ कि खिलाड़ी घायल हुए. चैन है कि किसी की जान नही गयी.)

Tuesday, March 3, 2009

अब तो जागो ओबामा....

कमी रह गई इस मॅ भी. एक आध क्रिकेटर की मौत हो ही जाती....तो भी दुनिया यह मानने को तैयार नही होती कि पाकिस्तान ही जड़ है पूरी दुनिया मॅ फैले इस आतंकवाद रूपी ज़हर के पौधे की. गददाफी स्टेडियम के बाहर श्री लंकाई क्रिकेट टीम दल पर हमला हो चुका है. और यह बात स्व-प्रमाणित हो चुकी है कि अगर अब भी नही चेते तो फिर दुनिया को चित होने से कोई नही रोक सकेगा.

फिर वही होगा....हम फिर एक माह के लिये जाग गये है. फिर से चिंता की रेखाये लौट आई है हमारे चिकने माथे पर. हम फिर अस्थाई रूप से चिंतित हो गये है. फिर से सारे मामले की समीक्षा होगी. पूरे मामले की निश्पक्ष जांच होगी. दो-चार नाम उछाले जायेगे. कुछ लोगो को शक के आधार पर गिरफ्तार भी किया जायेगा लेकिन नाकाफी सबूतॉ के चलते वो भी बाइज़्ज़त रिहा कर दिये जाएंगे. पूरा ड्रामा खेला जायेगा कि किस तरह हमेशा की तरह पाक खुद को पाक दामन साबित करले.

काश अगर यहाँ चीनी टीम होती, या फिर अमेरीकी टीम होती तो सूरतेहाल कुछ और ही होते.

अब तो जागो मेरे देश के लोगॉ. अब तो चेत जाओ. मौका आने वाला है. एक ऐसी सरकार चुनो जो तुम्हारा हित समझ सके. देश हित के जान सके. बदल ड़ालो भारत की तस्वीर इस दुनिया के नक्शे पर. दिखा दो कि हम भी तख्ता पलटना जानते है. हम भी हिम्मत रखते है कि अपनी बात रख कर अपनी ताकत दिखा सकते है.

तो बदल डालो...मिटा दो आतंकवाद का नाम इस दुनिया के शब्दकोष से.
(दुख हुआ कि खेल भावना को चिट पहुची. दुख हुआ कि खिलाड़ी घायल हुए. चैन है कि किसी की जान नही गयी.)

Monday, February 23, 2009

स्लमड़ाग कुत्ता करोड़्पति !!!

क्या बक्वास है. जिसे देखो वो आस्कर जीतने के नशे मॅ इस कदर चूर है कि बेहोशी के आलम से बाहर आना ही नही चाहता. देश का बुद्धिजीवी बहुत खुश है. देश का ऐसा युवा बेहद प्रफुल्लित है जो विवेकहीन है. पूरा देश थोथे मजे मॅ मग्न है. अरे कितनी शर्म की बात है कि कोई धारावी मॅ रहने वाले को कुत्ता बताकर उनके जीवन स्तर पर कोई चलचित्र बनाता है. सारी दुनिया के सामने दिखाता है और यह कहता है कि " ये देखो... भारत मॅ क्या हालात है...और वहाँ के लोग कुत्ते जैसा (पश्चिमी मानदण्ड के अनुसार) जीवन जीते हुये भी करोड़पति कैसे बन जाता है." छी: कितने मूर्ख है हम सब कि उनके इस महिमामण्ड़ित उत्सव मॅ हुये अपने इस अपमान पर कितने प्रसन्नचित है???? अरे मेरे देश के लोगो समझो... यह पुरस्कार उस निर्देशक को मिला है जो यह बता सका कि भारत मॅ झॉपड़ी मॅ रहने वाला कुत्ता कैसे रहता है...उस कलाकार को कोई पुरस्कार नही जिसने उस कुत्ते का किरदार निभाया...क्या यह विचार करने के लिये बाध्य नही करता....?

क्या रहमान ने कभी इससे बहतर कोई संगीत नही गढा??? क्या गुलज़ार साहब ने इससे बहतर कोई गीत नही लिखा??? क्या कोई दे सकता है इन सवालॉ के जवाब??? दे तो सब सकते है...पर देना नही चाहते. रहमान भाई हमारे उन शीर्ष कलाकारॉ मॅ से एक है जो पूरी दुनिया मॅ अपना लोहा मनवा चुके है. गुलज़ार साहब के बोल किसी भी उम्र के लोगॉ को नाचने झूमने को मज़बूर कर सकती है. तो क्या अब तक ये दोनॉ कलाकार कुछ ऐसा कर ही ना सके जिसे दुनिया सम्मान नही दे सही??? रहमान ने एक गीत बनाया था :...माँ तुझे सलाम... क्या वो किसी भी रचना से कम है???? नही ऐसा नही है.

यह आस्कर हमारे गाल पर तमाचा है कि देखो ...भारत के पास अभी तक कोई इतना सक्षम निर्देशक नही जो आस्कर मॅ चुने जाने लायक फिल्म बना सके...???

यह हम सब का अपमान है!!!

क्या "तारे ज़मीं पर" फिल्म किसी लिहाज़ से घटिया थी??? हाँ एक तल पर वो उचित नही थी...कि उस का निर्देशन किसी अमेरोकन या फिर किसी अंग्रेज़ ने नही किया था. जबकि तारे ज़मीं पर ने जिस मानवीय भाव को छूआ वो अपने आपमॅ एक अनूठा विषय है... लेकिन आस्कर के लिये वह योग्यता के किसी पयदान पर नही टिकी क्यॉकि वो शुद्ध रूप से भारतीय निर्माण है... और पश्चिम ये कैसे सहन कर ले कि कोई भारतीय कैसे कला का इतना बड़ा सम्मान हासिल करे.

क्या ब्लैक फिल्म किसी लिहाज़ से कम है...नही.
क्या लगान किसी लिहाज़ से कम थी.... नही थी...

हमे यह बात समझनी चाहिये कि कला, ज्ञान, विज्ञान, कौशल का गुण आदि विधाऑ मॅ हम से अधिक समृद्ध सकल विश्व मॅ कोई नही है और हमॅ अपने देश के सम्मान की रक्षा करनी चाहिये. अपना विरोध दर्ज करना चाहिये.

Friday, February 20, 2009

सागर की आवाज़्


आजकल जिसे देखो वही ढोलू (कछुआ) को डांटने चल पड़ता है. यही बात सोचते हुये ढोलू आज अकेला ही सैर को निकला. और घूमते हुये वह एक ऐसे स्थान पर आ पहुँचा जो उसने अबतक देखा ही नहीं था.

उसने देखा की उस जल कोने का सारा पानी काला काला है. समन्दर में होनी वाली जलीय वनस्पति भी लगभग नष्ट हो चुकी थी. और तो और वहाँ पर कोई जलीय जीव भी उसे दिखाई नहीं दिया. अब तो ढिलू को डर लगने लगा कि उसकी माँ जो कहती थी वह सच ना हो जाये.

ढोलू की माँ कहती थी कि मानव हर साल लाखों टन हानिकार रासायनिक तरल, कचरा, हर तरह की गन्दगी और अवशिष्ट पदार्थ समन्दर में फैक आ रहा है. और अगले आने वाले सालों में हमें पीने के लिये काला पानी ही मिलेगा.

अब तो ढोलू को अपने उन सब दोस्तॉ की याद आने लगी जो समन्दर का पानी जीने लायक न रह जाने के कारण मर गये थे. बस दो चार छोटी मछलियाँ ही बची है उसके बचपन के दोस्तॉ में.

ढोलू अब तक उस गन्दे पानी की कैद में फंस चुका था. उसे कोई राह नही सुझाई दे रही थी कि वह सागर में वापिस अपने घार कैसे जा पायेगा???
क्या आप बता सकते हैं???
अगर हाँ तो टिप्पणी कीजिये और बताइये!!!

Sunday, January 25, 2009

GAN TNTRA HAI JI,ZARA BACHKE REHNA BHAIYA

GANTANRA BNA GUN TANTRA-
ZRAA BACH KE RAHNAA BHAIYA,
NAA MAMMI NAA PAPA-BANDHU-
SABSE BADA RUPAIYA,

DOOB CHALI HAI LAGTI ABTO-
JAN-GAN-MAN KI NAIYA,
NAA SANRAKSHAK RAHE RAM AB-
KRISHN RAHE NAA KHIVIYA,

MULLA KI MASZID BHEE GADLI-
MANDIR MILE NAA SAYIYAA,
BETI KAA SHOSHAK HAI PITAA-
BAEHAN KAA BHAKSHAK BHAIYA,

RAAJNEETI KE KOTHE BIKTI-
PYAARI BHARAT MAIYA,
POOT RAHE NAA POOT BANE HAI DHOORTH-
NAA RAKSHAK RAHE SIPAHIYA,

ZARA BACHKE REHNA BHAIYA.

Monday, January 19, 2009

टेंशन,डिपरैशन,अनिद्रा,ह्र्दय रोग की अचूक दवा है सत्य बोलना.


सदियॉ से कहा जाता रहा है के सदा सत्य बोलना चाहिए, सत्य का व्यवहार करना चाहिए. पौराणिक कथाऑ मॅ भी सत्य की असत्य पर विजय की ही गाथा गाई हुई है. भारत के प्रतीक चिन्ह का अभिन्न हिस्सा है,”सत्यमेव जयते” यह वाक्य. आखिर क्यॉ? क्या होता है सत्य? क्यॉ सत्य की इतनी महिमा गाई गई है? आज का मानव भिन्न प्रकार के मनोरोगॉ के जाल मॅ उलझा हुआ है.कही उसकी काट सत्य की पहेली मॅ ही तो नही!! राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जीवन मॅ सत्य का जो स्थान रहा वो किसी से छिपा नही है. तो प्रश्न यह है कि आखिर सत्य कहने, सत्य सुनने, सत्य से ओत-प्रोत जीवन जीने मॅ ऐसा क्या है? एक लोकोक्ति है- सत्य कहने और सुनने वाला- ये दोनॉ ही दुर्लभ होते है.जिस योग के बूते स्वामी रामदेव जी आज सकल विश्व मॅ चर्चित है उस योग पद्धित के प्रणेता, अष्टांग योग सिद्धांत के प्रवर्तक योगर्षि पतंजलि ने भी आत्मिक शुद्धि के लिए जो यम-नियम दिये उनमॅ सत्य का स्थान सर्वोच्च है. कहा गया है कि सत्य तप है. अर्थार्थ तपाने वाला है. सत्य बोलने, सत्य का आचरण करने से आत्मबल, आत्मविश्वास बढता है. एक सत्य कह देने से हज़ार झूठ नही बोलने पडते. बेकार के तनाव से मुक्ति मिल जाती है. मन साफ रहता है. व्यक्ति व्यर्थ कि बातॉ से भयग्रस्त नही रह्ता. मन मॅ प्रेम उत्पन्न होता है. अकारण तनाव नही होता. बी.पी. ठीक रहता है. छोटी-मोटी बातॉ से व्यकित बौखलाता नही, बल्कि उनका समाधान बड़ी सरलता से कर पाता है क्यॉकि व्यक्ति शांत होता है. उसके परिवार मॅ, समाज मॅ सभी रिश्ते भली प्रकार पनपते है. व्यक्ति समाज के लिये उपयोगी बन जाता है. वह सहयोगी हो जाता है. जीवन मॅ स्थिरता आ जाती है. शरीर मॅ रोग नही पलते क्योकि वह ऊर्जावान रहने लगता है. रक्त मॅ लाल रक्त कणिकाऍ बढ जाती है. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मॅ वृद्धि होती है. दवा-दारू मॅ लगने वाला पैसा बच जाता है. संतुलित मन होने के कारण व्यक्ति सही-ग़लत मॅ अंतर करने मॅ अधिक सक्षम हो जाता है. परिवार का विकास होता है. नई पीढी मज़बूत होती है. उसका जीवन स्तर ऊचा हो जाता है. बनावटीपन नही रहता. तो तनाव नही होता. चेहरे की त्वचा दमक उठती है. व्यक्ति चिर-युवा रहता है. टॅशन, डिप्रेशन, मोटापा, ह्र्दय रोग, चर्म रोग, पेट के रोग व अनिद्रा ये सब बिमारियाँ पास भी नही फटकती. तो अब आप ही बताइए की सही कहा गया है ना कि सदा सच बोलना चाहिए. तो आज से ही तय करॅ कि स्वमं तो सत्य को धारण करॅगे ही साथ ही आपने छोटॉ को भी सच्चाई से जीने के लिये उत्साहित करॅगे. क्यॉकि सत्यम-शिवम-सुन्दरम.

19 जनवरी ओशो निर्वाण दिवस


आज उस विभूति का निर्वाण दिवस है जिसने मानव को सदियॉ से पैरॉ मॅ पड़ी हुइ मानसिक बेड़ियॉ से मुक्त करने का प्रयास किया. उसने धर्म का वास्तविक स्वरूप बतलाया. वेदॉ के पुरातन धारा को नये आयाम मॅ समाज के सम्मुख रखा. विश्व मानव के टुकड़ॉ को, जो धर्म के नाम पर, रंग के भेद पर, सांसकृतिक विविधताऑ के कारण टूटा हुआ है, फिर से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया. आज ऐसे युग-पुरुष का निर्वाण दिवस है. सबसे बड़ी बात जो महत्वपूर्ण है कि बाबा ओशो की शिक्षाऑ ने कभी देश को तोड़ने की प्रेरणा नही दी. बल्कि चेतना के उच्च स्तर पर हर व्यकित को जुड़ा हुआ बताते हुए आपसी सौहार्द के साथ एक जुट रह कर जीने की प्रेरणा दी. आइए हम सब आज उन्हॅ याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करॅ.

Sunday, January 18, 2009

कंडोम..(आपका सुरक्षा चक्र) अगर कुछ ऐसा कहे तो..

कंडोम हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा है. जिसे चाह कर भी भुलाया नही जा सकता. यह हमॅ अनचाहे गर्भ से तो बचाता ही है अपितु ना ना प्रकार की यौन रोगॉ से भी बचाता है. कंडोम का प्रयोग करना ही चाहिए क्यॉकि इसी मॅ है समझदारी. और अगर ये कुछ प्रसिद्ध ब्राण्ड जैसे पेप्सी, सैमसुंग, कोलगेट इत्यादि भी कंडोम बनाने लगॅ को उनके प्रचार वाक्य कैसे हॉगे. ब्लाग पर जाकर देखॅ ये मज़ेदार विज्ञापन और बताइए आपको कैसे लगे.



















चिट्ठाजगत

Saturday, January 17, 2009

नेता जी को मिले नोट ही नोट


चिट्ठाजगत


क़ल मेरे पास ISI के मुखिया का फोन आया. वो बेचारा गिड़गिड़ा कर बोला" हजूर अगर आप लोग भी हमे मोहलत नही दोगे तो हम तो भूखॉ मर जायॅगे सरकार". तो मैने तैश मॅ आकर पूछा (जैसे हम लोग अक्सर आजाते है)तो मै क्या करूँ? क्या मैनॅ ठेका लिया है तुम्हारी रक्षा-सुरक्षा का? तो वह उदास होते हुए बोला," आप भारत के नेता हो, बस आप भारत की जनता को मुम्बई प्रकरण भूलने मॅ मदद करो और हम आपकी जेब का ख्याल रक्खॅगे. हाँ आपना पता ठिकाना हमॅ ज़रूर बता दो ताकि हम अपने कसाब जैसे भाइयॉ को हिदायत दे दॅ कि उस इलाके मॅ बम बारी ना करॅ. आखिर आप ही के कारन तो हम भारत मॅ अपने कारनामे कर पाते है. आप का तो खास ख्याल हमॅ रखना ही होगा." यह बात मैनॅ अपनी विरोधी पार्टी के लोगॉ को कही तो उनकी तो जैसे निकल पड़ी. वो चहक उठे. उनकी आँखॉ मॅ एसी चमक आती दिखी जैसे बिल्ली की आँखॉ मॅ होती है चूहे को आता देख. वो बोले," नेता जी, हमार भी ख्याल रखिएगा, हम भी आपके साथ है. जनता का क्या है, जनता आज नही तो कल हर घटना-दुर्घटना को भूल ही जाती है. क्यॉकि जनता को शार्ट टर्म मेमोरी लौस की बिमारी है. हमे तो अपने बैंक के खातॉ की चिंता करनी है बस. चाहे जनता के राशन के खातॉ मॅ कुच हो ना हो. हमॅ अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना है चाहे देश की रक्षा हो ना हो.हमारे पेट मॅ चिकनाई कम नही होनी चाहिए चाहे देश मॅ पेट्रोल हो ना हो, हमॅ अपने फार्म हाउसॉ की हरियाली कि चिंता है चाहे देश मॅ विकास हो ना हो." मै विपक्षी पार्टी के नेता जी कि बातॉ से खासा प्रभावित हुआ और मैने ISI के मुखिया को हाँ कह दी. 10 मिनट के बाद ही एक आदमी मुझे साहब की भेजी हुई भॅट दे गया. लेकिन मै यह नही समझ पा रहा हूँ कि खुशी मनाऊ या अफसोस. इस पर आप कुछ् कहना चाहॅगे?

पुरूष और टेलिविज़न


ये अनोखा अनुपात है भइ, आप कुछ कहना चाहॅगे.मै तो समझ नही पा रहा हूँ कि क्या कहूँ. यह चित्र आधुनिक पुरुष के तनाव भरे जीवन की झलक तो दे ही रहा है. आपनी राय ज़रूर दीजिए.

सिलिंडर की आयु-सीमा


चिट्ठाजगत



क्या आपने कभी गैस सिलिंडर की एक्सपायरी तिथि के बारे मॅ सुना है???

ऐसे सिलिंडर जिनकी वैध आयु सीमा समाप्त हो चुकी है ओर वे सिलिंडर सुरक्षित नही है व गृह-उपयोग के लायक नही रह गये है. उदाहरण के लिए चित्र देखॅ और अपने घरॉ मॅ उपयोग हो रहे सिलिंड़रॉ की आयु के बारे मॅ जानकारी प्राप्त करॅ.

मान-दण्ड इस प्रकार है:-
1) ए मार्च के लिये है (पहली तिमाही)
2) बी जून के लिये है (दूसरी तिमाही)
3) सी सितम्बर के लिये है (तीसरी तिमाही)
4) डी दिसम्बर के लिये है (चौथी तिमाही)

दिये गये अंक उस वर्ष को इंगित करते है जिस वर्ष मॅ सिलिंडर की वैधता समाप्त हो रही है. जैसे D06 का अर्थ हुआ कि सिलिंडर कि आयु सीमा सितम्बर 2006 मॅ समाप्त हो रही है. जबकि D13 का अर्थ है कि यह सिलिंडर सितम्बर 20013 तक प्रयोग करने योग्य है. जागो उपभोक्ता जागो. पुराने सिलिन्डरॉ को लेने से मना करॅ. सुरक्षित रहॅ.

Friday, January 16, 2009

टॆस्ट चिट्ठा

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कान्हा कलयुग मॅ ना आना

(पनर्प्रस्तुति)

कान्हा कलयुग मॅ ना आना

कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया,
इस कलजुग मॅ ना आना ओ बंसी के बजैया,

यहाँ द्रोपा का आँचल तज कर जींस बढ़ानी होगी,
सत्यम के घर बन्दी होकर लाज बचानी होगी,

प्रेम-भाव के बदले तुमको देना होगा रुपिया,
मुरली तज कर रहमन के गीतॉ पर करना होगा ता-ता थैया,

तो कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया

रणछोड़ तो पहले से हो अब घर भी तजना होगा,
प्रभु नाम को डाल परे यहाँ धन-धन जपन होगा,

लौह-काठ के रथ को भूल अब कार चलानी होगी,
कैसे भी अब जैसे-तैसे नैया पार लगानी होगी,

चक्र सुदर्शन तज कर बन्दूक चलानी होगी,
सत्य-असत्य अब भूल सभी कुछ लाज बचानी होगी,

बनना होगा तुमको इस भारत का खेवैया,
तो कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया

TEST POST


Sahitya Shilpi

Thursday, January 15, 2009

कान्हा कलयुग मॅ ना आना

कान्हा कलयुग मॅ ना आना

कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया,
इस कलजुग मॅ ना आना ओ बंसी के बजैया,

यहाँ द्रोपा का आँचल तज कर जींस बढ़ानी होगी,
सत्यम के घर बन्दी होकर लाज बचानी होगी,

प्रेम-भाव के बदले तुमको देना होगा रुपैया,
मुरली तज कर रहमान के गीतॉ पर करना होगा ता-ता थैया,

तो कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया

रणछोड़ तो पहले से हो अब घर भी तजना होगा,
प्रभु नाम को डाल परे यहाँ धन-धन जपना होगा,

लोह-काठ के रथ को भूल अब कार चलानी होगी,
कैसे भी अब जैसे-तैसे नैया पार लगानी होगी,

चक्र सुदर्शन तज कर बन्दूक चलानी होगी,
सत्य-असत्य अब भूल सभी कुछ लाज बचानी होगी,

बनना होगा तुमको इस भारत का खेवैया,
तो कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया.
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