Saturday, January 17, 2009

नेता जी को मिले नोट ही नोट


चिट्ठाजगत


क़ल मेरे पास ISI के मुखिया का फोन आया. वो बेचारा गिड़गिड़ा कर बोला" हजूर अगर आप लोग भी हमे मोहलत नही दोगे तो हम तो भूखॉ मर जायॅगे सरकार". तो मैने तैश मॅ आकर पूछा (जैसे हम लोग अक्सर आजाते है)तो मै क्या करूँ? क्या मैनॅ ठेका लिया है तुम्हारी रक्षा-सुरक्षा का? तो वह उदास होते हुए बोला," आप भारत के नेता हो, बस आप भारत की जनता को मुम्बई प्रकरण भूलने मॅ मदद करो और हम आपकी जेब का ख्याल रक्खॅगे. हाँ आपना पता ठिकाना हमॅ ज़रूर बता दो ताकि हम अपने कसाब जैसे भाइयॉ को हिदायत दे दॅ कि उस इलाके मॅ बम बारी ना करॅ. आखिर आप ही के कारन तो हम भारत मॅ अपने कारनामे कर पाते है. आप का तो खास ख्याल हमॅ रखना ही होगा." यह बात मैनॅ अपनी विरोधी पार्टी के लोगॉ को कही तो उनकी तो जैसे निकल पड़ी. वो चहक उठे. उनकी आँखॉ मॅ एसी चमक आती दिखी जैसे बिल्ली की आँखॉ मॅ होती है चूहे को आता देख. वो बोले," नेता जी, हमार भी ख्याल रखिएगा, हम भी आपके साथ है. जनता का क्या है, जनता आज नही तो कल हर घटना-दुर्घटना को भूल ही जाती है. क्यॉकि जनता को शार्ट टर्म मेमोरी लौस की बिमारी है. हमे तो अपने बैंक के खातॉ की चिंता करनी है बस. चाहे जनता के राशन के खातॉ मॅ कुच हो ना हो. हमॅ अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना है चाहे देश की रक्षा हो ना हो.हमारे पेट मॅ चिकनाई कम नही होनी चाहिए चाहे देश मॅ पेट्रोल हो ना हो, हमॅ अपने फार्म हाउसॉ की हरियाली कि चिंता है चाहे देश मॅ विकास हो ना हो." मै विपक्षी पार्टी के नेता जी कि बातॉ से खासा प्रभावित हुआ और मैने ISI के मुखिया को हाँ कह दी. 10 मिनट के बाद ही एक आदमी मुझे साहब की भेजी हुई भॅट दे गया. लेकिन मै यह नही समझ पा रहा हूँ कि खुशी मनाऊ या अफसोस. इस पर आप कुछ् कहना चाहॅगे?

1 comment:

Vinashaay sharma said...

aaj ke sandharv ke liye aacha likha hai.

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