Friday, January 16, 2009

कान्हा कलयुग मॅ ना आना

(पनर्प्रस्तुति)

कान्हा कलयुग मॅ ना आना

कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया,
इस कलजुग मॅ ना आना ओ बंसी के बजैया,

यहाँ द्रोपा का आँचल तज कर जींस बढ़ानी होगी,
सत्यम के घर बन्दी होकर लाज बचानी होगी,

प्रेम-भाव के बदले तुमको देना होगा रुपिया,
मुरली तज कर रहमन के गीतॉ पर करना होगा ता-ता थैया,

तो कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया

रणछोड़ तो पहले से हो अब घर भी तजना होगा,
प्रभु नाम को डाल परे यहाँ धन-धन जपन होगा,

लौह-काठ के रथ को भूल अब कार चलानी होगी,
कैसे भी अब जैसे-तैसे नैया पार लगानी होगी,

चक्र सुदर्शन तज कर बन्दूक चलानी होगी,
सत्य-असत्य अब भूल सभी कुछ लाज बचानी होगी,

बनना होगा तुमको इस भारत का खेवैया,
तो कलजुग मॅ ना आना ओ मेरे कृष्ण-कन्हैया

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