Thursday, October 7, 2010

मंदिर-मस्जिद की विवादित भूमि क्या सर्वश्रेष्ठ उपयोग-

मेरे विचार से तो उस पूरी ज़मीन पर एक सर्वसुविधा संपन्न अस्पताल बनाना चाहिए जिसका लाभ हिन्दू, मुसमान, सिख, इसाई, पारसी, सिन्धी, अगड़े, पिछड़े, ऊंचे, नीचे, अमीर, गरीब, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक, गरीबी रेखा के ऊपर वाले, गरीबी रेखा के नीचे वाले, कार वाले, बेकार, मजदूर, किसान, रेहड़ी मजदूर, व्यापारी, नौकरी पेशा, सरकारी अफसर, बाबू, चपरासी, पान वाला, फल वाला, प्रेस वाला, मीडिया कर्मी, दिल्ली वाला, दिल वाला, या जिन का निकल गया हो दिवाला,किन्नर, बे-दिल और वो लोग जो शायद किसी गिनती मैं नहीं आते हों, उन सभी को मिलना चाहिए जो इस भारतवर्ष के अभिन्न अंग हैं. क्यूंकि मुझे लगता है कि इस व्यवस्था पर किसी को कोई एतराज़ नहीं होगा. और हो भी..... तो होता रहे. हमें इस नासूर का इलाज करना है. इस देश कि भावी पीढ़ी को मजबूत आधार देना है. किसी के राजनैतिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए हम सब कबतक किस किस की बलि चढाते रहेंगे??? सोचो भारत के बेटो.

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

जबतक राजनेता वोट की राजनीति से ऊपर उठ कर ईमानदारी से कुछ नही करेगें तब तक कुछ भी सही नही होने वाला। सिर्फ अपना हित देखने वाला कभी भी सही फैसला नही कर सकता।

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